Jamin Registry Kaise Kare: जमीन हर किसी व्यक्ति के जीवन का एक अहम हिस्सा होती है। वह अपनी जिंदगी के अनेक पल और कमाई इसे बनाने में लगाता है। पुराने समय में जनसंख्या कम होने के कारण जमीन की रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य नहीं था परंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण आज प्लाट, खेत, दुकान आदि सभी प्रकार की जमीनों की रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य हो गया है। अन्यथा कोई और उस जमीन पर कब्जा कर सकता है।
आज इस लेख में हम आपको जमीन की रजिस्ट्री कैसे करायें, कैसे की जाती है जमीन की रजिस्ट्री, कितना खर्च आता है जमीन की रजिस्ट्री कराने में और पूर्वजों की जमीन कैसे अपने नाम कराएं तथा जमीन की रजिस्ट्री कराने में लगने वाले Documents आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे। यदि आप जमीन की रजिस्ट्री करवाने के बारे में जानकारी चाहते हैं तो आप इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें। तो चलिए जानते हैं-
कैसे की जाती है रजिस्ट्री जमीन की
हम आपको यहां कैसे की जाती है रजिस्ट्री जमीन की बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे। जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए Online और offline दोनों तरीकों से आवेदन कर सकते हैं। offline तरीके से रजिस्ट्री करवाने के लिए आप रजिस्ट्री ऑफिस से स्टैंप ड्यूटी पेपर बनवाएं अर्थात यह एक प्रकार का पेपर होता है जिस पर जमीन के संबंध में सारी जानकारी बताई जाती है। जैसे –
- जमीन का क्रेता और विक्रेता कौन है।
- जमीन कहां पर है अर्थात जमीन कौन से क्षेत्र में है।
- जमीन कितने में खरीदी और बेची गई है।
- क्रेता और विक्रेता दोनों के ही Signature तथा फोटो उस पेपर में लगानी होती है।
- जमीन की रकम निर्धारित करें। ( बेचने और खरीदने की)।
- क्रेता और विक्रेता दोनों की तरफ से एक- एक गवाह मौजूद होना चाहिए उस जमीन के रजिस्ट्री के समय।
आदि सभी जानकारियां भरने के बाद तथा जरूरी Documents की फोटोकॉपी लगाने के बाद रजिस्ट्री करवाने हेतु आप रजिस्टर्ड ऑफिस में जाइए। वहां आपको बहुत सारे वकील और रजिस्ट्रार मिलेंगे। जमीन की रजिस्ट्री कराने का काम उनका होता है वही स्टैंप ड्यूटी पेपर बनाने और जमीन की रजिस्ट्री पूर्ण कराने में आपकी मदद करेंगे।
यदि आपको इस संबंध में और अधिक जानकारी चाहिए तो आप अपनी पंचायत के पटवारी और तहसीलदार से भी इस बारे में जानकारी ले सकते हैं। ‘ONLINE’ तरीके से जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए आप इसकी अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करके फॉर्म अप्लाई कर सकते हैं और ऑनलाइन तरीके से भी जमीन की रजिस्ट्री प्राप्त कर सकते हैं।
कितना खर्च आता है जमीन की रजिस्ट्री कराने में
जमीन की रजिस्ट्री कराने में लगने वाला खर्च स्टांप ड्यूटी चार्ज के आधार पर निर्धारित किया जाता है अर्थात जमीन की रजिस्ट्री में जो खर्च आता है उसे सरकार स्टांप के जरिए आप से लेती है। इसमें अलग-अलग जमीन के अनुसार अलग-अलग स्टांप ड्यूटी चार्ज लगाई जाती है। जैसे- यदि कोई गांव की जमीन खरीदना और बेचना चाहता है तो उस पर लगने वाला ड्यूटी चार्ज कम होता है। वहीं शहर में खरीदी और बेची जाने वाली जमीन पर ड्यूटी चार्ज अधिक होता है।
यह स्टांप ड्यूटी चार्ज खरीदी और बेचे जाने वाली जमीन के सरकारी रेट के अनुसार तय किया जाता है। जैसे- किसी गांव की जमीन के खरीदने पर सर्किल रेट ₹1 लाख है तो आपको उस पर ₹5000 स्टांप चार्ज देना होगा। इस आधार पर आप समझ गई होंगे कि कितना खर्चा आता है जमीन की रजिस्ट्री कराने में। स्टांप चार्ज के अलावा कुछ छोटे-मोटे खर्च भी आते हैं जैसे – पेपर तैयार कराने का खर्च, रजिस्ट्री हेतु वकील की फीस, रजिस्ट्री के समय लगने वाले Documents की फोटो कॉपी कराने का खर्च आदि।
पूर्वजों की जमीन कैसे कराएं अपने नाम
पूर्वजों की जमीन को अपने नाम कराने के लिए आपको कोर्ट या सर्किल ऑफिसर का सहारा लेना होता है। यदि आप के दादा, परदादा या आपके पिता ने अपनी संपत्ति का कोई वसीयत नामा बनवाया है तो वह संपत्ति उस व्यक्ति की होगी जिसका नाम वसीयतनामा में लिखा गया है। यदि आप उस वसीयतनामा में लिखे गए नाम में बदलाव करना चाहते हैं तो उस स्थिति में आपको उस वसीयतनामा को लेकर संबंधित कार्यालय में जाना होगा और वहां उसकी जांच की जाएगी। जांच होने के बाद यदि उस वसीयतनामा में आपका नाम लिखा हुआ है तो वह आपके नाम रजिस्टर्ड हो जाएगी अन्यथा आप अन्य वैध कार्रवाई करके उसे अपने नाम रजिस्टर करवा सकते हैं।
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रजिस्ट्री कराने में काम आने वाले Documents
जमीन अपने नाम रजिस्टर करवाने के लिए उसमें कुछ Documents का संगलन करना जरूरी होता है। प्लाट, खेत, दुकान आदि सभी प्रकार की जमीनों के लिए अलग-अलग दस्तावेजों का होना जरूरी होता है रजिस्ट्री कराने के लिए। अब हम आपको रजिस्ट्री कराने में काम आने वाले Documents डाक्यूमेंट्स के बारे में बताएंगे। कि कौन कौन से डॉक्यूमेंट काम में आते हैं रजिस्ट्री कराने में-
- पहचान पत्र
- आधार कार्ड
- मोबाइल नंबर
- बैंक अकाउंट का प्रमाण पत्र
- पावर ऑफ अटॉर्नी
- NOC-नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
- जमीन का खसरा नंबर
- क्रेता- विक्रेता द्वारा आपसी सहमति से तैयार जमीन का बैनामा पत्र।
आदि सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जमीन की रजिस्ट्री के समय काम में लिए जाते हैं।
निष्कर्ष ( Conclusion )
जमीन की रजिस्ट्री करवाते समय धोखाधड़ी से बचने के लिए आप उस जमीन के बारे में पहले संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ले उसके बाद ही उस जमीन को खरीद कर अपने नाम रजिस्ट्री करवाएं। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपके काम आएगी जमीन की रजिस्ट्री कराने में।
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