Last Updated On October 23, 2023
Old Pension Scheme : रविवार को पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग कर रहे विभिन्न राज्य के शिक्षक और अन्य कर्मचारी की भारी भीड़ दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में जुटी। एक बार फिर पुरानी पेंशन को लेकर तहलका मच चुका है, असल में पेंशन शंखनाद महारैली का आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के तहत किया गया था। काफी समय से पुराने पेंशन लागू करने को लेकर मांग उठ रही है। जगह-जगह पर शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी धारणाएं दे रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है।
इसी के बीच सबसे बड़े सवाल आता है कि आखिर क्यों शिक्षक और अन्य कर्मचारी जो पुराने पेंशन का लाभ लेना चाहते हैं वह न्यू पेंशन योजना (New Pension Scheme) को इतना अलग क्यों समझ रहे हैं और आखिर एनपीएस लागू होने से किसको फायदा और नुकसान होने वाला है। क्या ऑप्स लागू करने के पक्ष सरकार के खजाने में बोझ बढ़ने वाला है इन तमाम सवालों का जवाब लिए इस आर्टिकल में जानते हैं।
देश के विभिन्न क्षेत्रों में पुराने पेंशन लागू करने को लेकर प्रदर्शन जारी है। वही वर्ष 2024 में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसी कारण से अब मोदी सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना को संशोधन कर सकती है इस संशोधन में या स्पष्ट किया जाएगा की रिटायरमेंट कर्मचारियों को मिनिमम 40 से 45 फ़ीसदी तक अंतिम वेतन मिल सके। इसकी सिफारिश उच्च स्तरीय पैनल द्वारा की गई थी हालांकि अभी इस पर विचार किया जा रहा है।
पेंशन योजना इस समय गम मुद्दा बन गया है गैर बीजेपी शासित राज्य नई पेंशन योजना को बहिष्कार कर पुराने पेंशन योजना की तरफ स्विच कर रहे हैं। आपको बता दे की पेंशन भोगियों को 50% तक रिक्वायरमेंट मासिक वेतन पांच राज्यों में फिर से वापस लौटाया गया है झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान हिमाचल प्रदेश और पंजाब। इस पर देश के कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों का यह विचार है कि इसे पुनः लागू करने से राज्य सरकार दिवालिया पान की तरफ धकेल रहे हैं। वही भारतीय स्टेट बैंक के प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति का कहना है कि पुरानी पेंशन योजना राज्य की प्रकृति को धीमी कर रहा है एवं सरकार के कर्ज को बढ़ाने में मदद कर रहा है इसलिए नई पेंशन योजना की तरफ विचार करना चाहिए।
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नई पेंशन योजना को संशोधित कर 40% तक का न्यूनतम पढ़ती देने पर विचार कर सकती है साथ ही गौरवतालाब है कि अगर भुगतान आधार राशि से कम है तो सरकार इसकी कमी को पूरा करने पर भी हस्तक्षेप करेगी। कर्मचारी औसतन 36 फीसद से 38 फीसद के बीच औसत रिटर्न अर्जित करते हैं।